Foreign Institutional Investors (FIIs) की NSE में हिस्सेदारी घटकर 15.98% हो गई है, जो 12 साल का सबसे Lower Level है।
अक्टूबर में FIIs की Stock Holding 77.96 लाख करोड़ रुपये से गिरकर 71.08 लाख करोड़ रुपये पर आ गई, जो मार्च 2020 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है।
दूसरी ओर, Mutual Funds की हिस्सेदारी 9.58% के Record Level पर पहुंच गई, जो अक्टूबर में 42.36 लाख करोड़ रुपये रही।
DII (Domestic Institutional Investors) की कुल Value सितंबर में 76.80 लाख करोड़ रुपये थी और उनकी हिस्सेदारी 16.2% पर Record High पर थी।
अक्टूबर में DII ने लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का Investment किया।
अनुमान लगाया जा रहा है कि DII की हिस्सेदारी अब FIIs के बराबर या उससे अधिक हो सकती है।
यदि ऐसा होता है, तो यह एक बड़ा बदलाव होगा, क्योंकि अभी तक FIIs का Market पर Major Impact था।
FIIs की Selling के बावजूद Benchmark Index में केवल 6% की गिरावट आई। FIIs और DIIs के बीच अंतर 30 सितंबर 2024 तक 0.24 के Lower Level पर आ गया।
मार्च 2015 में यह अंतर 0.09% कम था, जो ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है।
Prime Database के MD Pranav Haldia के अनुसार, अगर DIIs की Holding FIIs से अधिक होती है, तो बाजार पर उनका असर अधिक हो सकता है।
FIIs की Selling के बावजूद Indian Market ने Stability दिखाई है, जो DIIs की बढ़ती ताकत का संकेत है।
FIIs का असर कम होने से Domestic Market में Stability और अधिक हो सकती है।
इस बदलाव से Market में उतार-चढ़ाव का संतुलन बेहतर हो सकता है। दिसंबर के अंत में Shareholding Data से स्थिति स्पष्ट होगी।